नई दिल्ली। दिल्ली में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति को लेकर चल रही चर्चाओं और हलचलों ने सियासी पारा पूरा बढ़ा रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद, दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर बना सस्पेंस खत्म हो सकता है। पीाएम मोदी के लौटने से पहले कुछ नाम शॉर्टलिस्ट कर लिए गए हैं। जिस पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह के साथ चर्चा कर मुहर लगाई जाएगी।
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बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीती
सूत्रों के मुताबिक, 19 फरवरी को दिल्ली में नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे। दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीतकर अपनी विजय दर्ज की है, जिससे अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के 10 साल के शासन का समापन हुआ। बीजेपी अब दिल्ली में सत्ता संभालने जा रही है। शपथ ग्रहण समारोह की जगह के तौर पर जेएलएन स्टेडियम और रामलीला मैदान को देखा जा रहा है। विधायक दल की बैठक 16 या 17 फरवरी को आयोजित होने की संभावना है, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो सकता है।
CM की रेस में ये प्रमुख दावेदार
पर्वेश वर्मा : दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे पर्वेश वर्मा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को हराकर बड़ा उलटफेर किया। उनकी दो बार के पश्चिम दिल्ली सांसद के रूप में अनुभव और आरएसएस समर्थित पृष्ठभूमि उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है। केजरीवाल पर उनकी जीत ने उन्हें राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया है, और वह मुख्यमंत्री पद के प्रमुख उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं।
आशीष सूद : वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व दक्षिण दिल्ली नगर निगम के प्रभारी आशीष सूद भी मजबूत दावेदार हैं। उन्होंने जनकपुरी विधानसभा सीट से 68,986 वोटों के साथ जीत दर्ज की। नगर निगम प्रशासन में उनका अनुभव और पार्टी के विभिन्न प्रभारों में भूमिका उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त बनाती है।
विजेन्द्र गुप्ता : पूर्व दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष और रोहिणी से लगातार तीसरी बार विजयी विजेन्द्र गुप्ता ने भी अपनी सीट 37,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती। विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उनके अनुभव और दिल्ली की राजनीतिक पृष्ठभूमि की गहरी समझ उन्हें एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित करती है।
सतीश उपाध्याय : पूर्व दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने मालवीय नगर से जीत हासिल की है। आरएसएस के करीबी सहयोगी के रूप में उनका राजनीतिक कैरियर मजबूत है, और उनकी संगठनात्मक क्षमता और शासकीय अनुभव उन्हें मुख्यमंत्री के पद के लिए एक और सशक्त विकल्प बनाते हैं।
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Mahendra Mangal