समरावता प्रकरण: जेल में बंद नरेश मीणा के लिए आंदोलन तेज, कांग्रेस नेता गुंजल बोले ‘न्याय नहीं तो रण होगा’

कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल पार्टी लाइन से हटकर नरेश मीणा का साथ दे रहे है। नरेश के साथ जेल में बंद निर्दोष लोगों के लिए आंदोलन का नेतृत्व भी वो खुद कर रहे है। पहले नगर फोर्ट महापंचायत की और अब विधानसभा घेराव की रणनीति बनाई गई है। इसको लेकर प्रहलाद गुंजल ने कहा कि नरेश मीणा के साथ मैं कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं और जब तक नरेश की रिहाई नहीं होगी युवाओं के साथ तानाशाही सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। सिर्फ नरेश मीणा ही नहीं, बल्कि समरावता के हर एक उस व्यक्ति के साथ हूं, जिन्होंने इस पीड़ा को झेला है।

जयपुर। समरावता प्रकरण (Samravata case) को लेकर जेल में बंद युवा नेता नरेश मीणा के लिए अब आंदोलन तेज होने वाला है। इसको लेकर कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल के नेतृत्व में एक बैठक हुई, जिसमें बड़ी संख्या में युवा मौजूद रहे। कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने एलान किया कि सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया है, यदि इन सात दिनों में सरकार समरावता प्रकरण की न्यायिक जांच नहीं करवाती है तो 24 जनवरी को एक बड़ी बैठक होगी, जिसमें आर-पार की लड़ाई का एलान होगा।


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24 जनवरी को विधानसभा कूच और जयपुर घेराव

प्रहलाद गुंजल ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने निर्दोष लोगों को फंसाया है और खुद ही गाड़ियों-घरों को जलाकर आम युवाओं को आरोपी बनाया है, जो गलत है। ऐसे में यदि निर्दोष लोगों को नहीं छोड़ा गया तो आने वाले 24 जनवरी को विधानसभा कूच और जयपुर घेराव का एलान करेंगे और इसकी तारीख उसी दिन घोषित करें और इसके बाद पीछे नहीं हटेंगे।


विधानसभा घेराव की रणनीति बनाई
बता दें कि कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल (Congress leader Prahlad Gunjal) पार्टी लाइन से हटकर नरेश मीणा का साथ दे रहे है। नरेश के साथ जेल में बंद निर्दोष लोगों के लिए आंदोलन का नेतृत्व भी वो खुद कर रहे है। पहले नगर फोर्ट महापंचायत की और अब विधानसभा घेराव की रणनीति बनाई गई है। इसको लेकर प्रहलाद गुंजल ने कहा कि नरेश मीणा के साथ मैं कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं और जब तक नरेश की रिहाई नहीं होगी युवाओं के साथ तानाशाही सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। सिर्फ नरेश मीणा ही नहीं, बल्कि समरावता के हर एक उस व्यक्ति के साथ हूं, जिन्होंने इस पीड़ा को झेला है।


अभी तक न्यायिक जांच नहीं हुई
उनका आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने खुद वाहनों और घरों को जलाया, लेकिन इसका दोष निर्दोष लोगों पर मंड दिया। यही नहीं सरकार के मंत्री भी वहां घटनास्थल पर गए और उन्होंने भी न्यायिक जांच की बात कही, लेकिन अभी तक न्यायिक जांच नहीं हुई। क्योंकि यदि न्यायिक जांच होगी तो कईयों के राज बेपर्दा हो जाएंगे और असली दोषी सामने आ गया तो सरकार की किरकिरी हो जाएगी। इसलिए न्यायिक जांच का सरकार को डर मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच संभागीय आयुक्त से करवाई जा रही है, जबकि वो जांच नहीं बल्कि पूरे मामले पर पर्दा डालने का काम करेंगे। ऐसे में हम चुप नहीं बैठने वाले और हर मोर्चे की लड़ाई लड़ सरकार का चेहरा बेनक़ाब करेंगे।


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