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Rajasthan politics: किरोड़ी लड़े बिना नहीं रह सकते, उन्हें सीएम बना दो फिर भी लड़ेंगे: हनुमान बेनीवाल ने ऐसा क्यों कहा?

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जयपुर। राजस्थान की सियासत में किरोड़ी लाल मीणा और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं। किरोड़ी लाल ने सरकार के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया। पिछले दिनों सीएम के काफिले की दुर्घटना में मृतक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) सुरेन्द्र सिंह की पत्नी को विशेष पैकेज दिलाने की मांग को लेकर किरोड़ी लाल मीणा ने पुलिस डीजीपी से मुलाकात की। वहीं किरोड़ी लाल के सवाल पर सांसद हनुमान बेनीवाल का कहा कि किरोड़ी लड़े बिना नहीं रह सकते।


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सरकार के खिलाफ एक नया मोर्चा खोला

कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने एक और मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हाल ही में मुख्यमंत्री के काफिले की दुर्घटना में मृतक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) सुरेंद्र सिंह के परिवार को न्याय दिलाने की मांग को लेकर वे सक्रिय हो गए हैं। किरोड़ी लाल मीणा सुरेंद्र सिंह की पत्नी सविता कुमारी के साथ पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) यू.आर. साहू के निवास पर पहुंचे। उन्होंने डीजीपी को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि मृतक एएसआई के परिवार को राजस्थान पुलिस वेतन पैकेज में छूट देकर 1.20 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।


बेनीवाल का मीणा पर तंज
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने रविवार को जोधपुर में किरोड़ी लाल मीणा को लेकर बयान दिया। जोधपुर सर्किट हाउस में अपने समर्थकों से मुलाकात के दौरान जब उनसे मीणा को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “वह ऐसे नेता हैं, जो बिना लड़े नहीं रह सकते। उन्हें कितना भी बड़ा विभाग दे दिया जाए, फिर भी वे लड़ेंगे। अगर उन्हें मुख्यमंत्री भी बना दिया जाए, तो भी वे संघर्ष करना नहीं छोड़ेंगे।”


पुलिस के होली बहिष्कार पर बेनीवाल का बयान
राजस्थान पुलिस के होली बहिष्कार को लेकर भी हनुमान बेनीवाल ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “यह पहली बार हुआ है कि राजस्थान पुलिस के जवानों ने होली नहीं खेली। यह पुलिस की नाराजगी को दर्शाता है।” उन्होंने आगे कहा, “मैं राजस्थान के लोगों को जगाने का काम कर रहा हूं। हो सकता है कि जनता का जमीर जागे और वे अपने हक के लिए लड़ाई लड़ें।” बेनीवाल ने अधिकारियों के रवैये पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “जब पुलिस जवानों ने होली नहीं खेली, तो अधिकारियों को भी उनका साथ देना चाहिए था। वे भी होली खेलने से परहेज कर सकते थे, क्योंकि वे सभी एक ही परिवार का हिस्सा हैं।”


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